रविवार, 27 जून 2010

मैं वक़्त कि हलचलों का साफ़ आइना हूँ

मैं वक़्त कि हलचलों का साफ़ आइना हूँ,
यूँ झलक तुमको तुम्हारी दिखता हूँ,
दर्द को आवाज देना काम है मेरा,
लोग कहते है मैं कविता बनता हूँ|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL