शनिवार, 5 जून 2010

आज दुल्हन को लाल जोड़े में उसे उसकी सखियों ने सजाया होगा

आज दुल्हन को लाल जोड़े में उसे उसकी सखियों ने सजाया होगा,
मेरी जान के गोरे हाथों को मेहँदी से सजाया होगा,
बहुत गहरा चढ़ा होगा मेहँदी का रंग,
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा,
रह-रह के रो पड़ी होगी, जब-जब उसको मेरा ख्याल आया होगा,
खुद को देखा होगा जब आईने में तो अक्स मेरा भी नज़र आया होगा,
लग रही होगी बला कि सुन्दर मेरी जान आज,
देख कर उसको चाँद भी शरमाया होगा,
आज मेरी जान ने अपने माँ-बाप कि इज्ज़त को बचाया होगा,
उसने बेटी होने का हर फर्ज निभाया होगा,
मजबूर होगी वो सबसे ज्यादा,सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा,
अपने हाथों से मेरे खतों को जलाया होगा,
खुद को मज़बूत बनाकर मेरी यादों को मिटाया होगा,
भूखी होगी वो जानता हूँ मैं,मेरे बिना उसने कुछ ना खाया होगा,
कैसे संभाला होगा खुद को जब उसने फेरों में खुद को जलाया होगा|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL