गुरुवार, 10 जून 2010

दिल दिया ऐतबार कि हद थी

दिल दिया ऐतबार कि हद थी,
जान दी ये मेरे प्यार कि हद थी,
मर के भी आँखें खुली रह गयी,
और कुछ नहीं ये तो इंतजार कि हद थी|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL