मंगलवार, 23 मार्च 2010

कोई मिला हमें चाँद कि चांदनी बनकर

कोई मिला हमें चाँद कि चांदनी बनकर,
कोई मिला परियो कि कहानी बनकर,
जिस किसी को पलकों में बसाया हमने,
वो निकल गया आँख से पानी बनकर|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL