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तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ मैं
पिघलती है मोम रोशनी के लिए
यूँ कोई तनहा नहीं होता
हमने तो काँटों को भी नरमी से छुआ है
चाहत वो नहीं जो जान देती है
सोचा था ना करेंगे किसी से दोस्ती
सुबह को सताना अच्छा लगता है
याद करना और याद आना दो अलग बात है
खुसबू ने फूल को ख़ास बनाया
ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल
कटी पतंग की तरह खो जाते है कुछ दोस्त
जलकर खाक हुई ज़िन्दगी मेरी
गीले कागज की तरह ज़िन्दगी है अपनी
ज़िन्दगी तो सभी के लिए वही रंगीन किताब है
हर तरफ दुनिया में इतनी रश्में क्यों है
सारी उम्र आँखों में कोई सपना याद रहा
कौन किसी का होता है इस ज़माने में
एक अच्छा दोस्त वही होता है जो..
कभी मिलेगें आपसे यह ख्याल करते है
दिन का उजाला हो या रात की ख़ामोशी
दूरियों की ना परवाह किया कीजिये
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता
ज़िन्दगी भी हम अपनी ख़ुशी से लुटा दें
भींगते रहे बारिसों में अक्सर
जब टूटने लगे हौसला तो बस यह याद रखना
सबसे घुल-मिल जाने की आदत है हमें
रोती हुई आँखों से तुझे मुस्कान कैसे दूं
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शनिवार, 26 मार्च 2011
सोचा था ना करेंगे किसी से दोस्ती
प्रस्तुतकर्ता बेनामी
सोचा था ना करेंगे किसी से दोस्ती,
ना करेंगे किसी से वादा,
पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा कि
करना पड़ा दोस्ती का वादा |
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