मंगलवार, 15 मार्च 2011

गीले कागज की तरह ज़िन्दगी है अपनी

गीले कागज की तरह ज़िन्दगी है अपनी,
कोई जताता भी नहीं,कोई बताता भी नहीं,
इस कदर अकेले है दिल की राहों में,
कोई सताता भी नहीं, कोई मनाता भी नहीं|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL