बुधवार, 22 सितंबर 2010

बैठे है तन्हा उनकी आस में

बैठे है तन्हा उनकी आस में,
कुछ नहीं यादों के अलावा हमारे पास में,
सोचते है क्या हुआ जो वो नहीं हमारे पास में,
रेगिस्तान भी तो जीता है बरसात कि आस में|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL