शनिवार, 11 सितंबर 2010

ना वो सपना देखो जो टूट जाये

ना वो सपना देखो जो टूट जाये,
ना वो हाथ थामों जो छुट जाये,
मत आने दो किसी को इतना करीब कि,
उसके दूर जाने से इन्सान खुद से रूठ जाये|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL