सोमवार, 6 सितंबर 2010

ये किस तरह याद आ रहे हो

ये किस तरह याद आ रहे हो,
आँखें बंद है फिर भी नज़र आ रहे हो,
ना जाने क्यू ऐसा लगता है जैसे,
सामने खड़े हो और सिंग हिला के,
'आर्बिट' चबा रहे हो|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL