शनिवार, 16 अप्रैल 2011

हर राह एक नयी मंजिल है

हर राह एक नयी मंजिल है,
क़दमों का संभालना ज़रा मुश्किल है,
एक अच्छा दोस्त अगर साथ न हो,
तो धुप क्या छाँव में भी चलना मुश्किल है|  

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL