मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

एक अजीब दास्ताँ है मेरे अफ़साने की

एक अजीब दास्ताँ है मेरे अफ़साने की,
मैंने हर पल कोशिश की उनके पास आने की,
किस्मत थी  मेरी या साज़िस थी ज़माने की,
दूर हुए वो इतने जितनी उम्मीद थी करीब आने की|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL