शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

हिचकिया दिलाकर ये कैसी उलझन बढ़ा रहे हो

हिचकिया दिलाकर ये कैसी उलझन बढ़ा रहे हो,
आँखें बंद है फिर भी नज़र आ रहे हो,
बस इतना बता दो हमें ....................
याद कर रहे हो या अपनी याद दिला रहे हो|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL