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दोस्ती सच्ची हो तो वक़्त रुक जाता है
रहे दूर तो आपकी याद आयी
हमारी दोस्ती भी एक शीशे की तरह है
सितारों को भेजा है आपको सुलाने के लिए
यही तो खूबसूरत दोस्ती का नाता है
जब रात को याद दोस्त की आती है
दर्द में कोई मौसम प्यारा नहीं होता
हर रास्ता एक सफ़र चाहता है
दिल ने जो चाह कभी ना पाया
कोई खुशियों की चाह में रोया
वादा है तुम्हारी खाश रहेगी
सुबह कि ठण्ड कुछ याद दिलाती है
जो तुने दिया उसे हम याद करेंगे
वक़्त के साथ हर चीज बदल जाती है
दोस्ती के वादों को युही निभाते रहेंगे
आपकी हसीं बड़ी प्यारी लगती है
खुसबू आपकी दोस्ती को महका जाती है
दूर से वो सलाम कर गये
ग़मों के आँच में आंसू बहाकर तो देखों
जिसे हद से ज्यादा प्यार करो
ये हवा आपकी हँसी कि खबर देती है
ज़िन्दगी कि किताब में जो पन्ने होते है
प्यार से हमें कोई गिला नहीं
हिचकिया दिलाकर ये कैसी उलझन बढ़ा रहे हो
प्यारे से दोस्त हो आप
इन आँखों को समझने वाला चाहिए
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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010
हिचकिया दिलाकर ये कैसी उलझन बढ़ा रहे हो
प्रस्तुतकर्ता बेनामी
हिचकिया दिलाकर ये कैसी उलझन बढ़ा रहे हो,
आँखें बंद है फिर भी नज़र आ रहे हो,
बस इतना बता दो हमें ....................
याद कर रहे हो या अपनी याद दिला रहे हो|
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