शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

एक नज़र भी देखना गवारा नहीं उसे

 एक नज़र भी देखना गवारा नहीं उसे,
ज़रा भी एहसास हमारा नहीं उसे,
वो दूर से देखती रही डूबना मेरा,
हम भी खुद्दार थे इसलिए पुकारा नहीं उसे|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL