रविवार, 16 मई 2010

गालो पर आंसू कि लकीर बन गयी

गालो पर आंसू  कि लकीर बन गयी,

सोचा ना था ऐसी तकदीर बन गयी,
हमने तो सिर्फ रेत पर अंगुली फिरायी थी,
देखा तो आपकी तस्वीर बन गयी|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL