शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

जिनकी तमन्ना दिल में थी

जिनकी तमन्ना दिल में थी,
जुदाई अब हम उनकी सहते है,
फुरसत नहीं उन्हें हमसे कुछ कहने कि,
इसलिए अब हम हर वक़्त खामोश रहते है|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL