सोमवार, 19 अप्रैल 2010

लिखूं कुछ आज ये वक़्त का तकाजा है

लिखूं कुछ आज ये वक़्त का तकाजा है,
दिल में दर्द अभी ताजा-ताजा है,
गिर पड़ते है आंसू कागज़ पर,
लगता है कलम में स्याही कम
और प्यार ज्यादा है|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL