गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

ख़ुशी के दो घूट पीना चाहता हूँ मैं

बहुत रोया हूँ जिंदगी में,
अब  कुछ देर हँसना चाहता हूँ मैं,
बहुत पिए है गम के खारे आंसू,
ख़ुशी के दो घूट पीना चाहता हूँ मैं,
बहुत चला हूँ मंजिल कि ओर,
थक गया हूँ कुछ देर रुकना चाहता हूँ मैं,
बहुत देखे है सोकर जिंदगी के सपने,
कोई आकर जगा दे मुझे अब जागकर सपनों कि
हकीकत देखना चाहता हूँ मैं|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL