गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

दर्द

एक पंछी का दर्द भरा फ़साना था,
टूटे थे पंख और उसे उड़ते जाना था,
लेकिन अफ़सोस उसकी वही दल टूटी
जिस पर उसका आशियाना था|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL