मंगलवार, 17 मई 2011

ना देखों मुकद्दर आपको मंजिल को पाना है

ना देखों मुकद्दर आपको मंजिल को पाना है,
अपनी हस्ती को आफ़ताब बनाना है,
ना मचलना राहों में चाँद को देखकर,
आपको तो सूरज बनकर आसमान को जगमगाना है|   

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL