सोमवार, 9 मई 2011

रुलाने को अपनी कहानी काफी है

रुलाने को अपनी कहानी काफी है,
इश्क में दों पल की जिंदगानी काफी है,
डूबने के लिए समंदर की क्या जरुरत,
उनकी पलकों से गिरा पानी ही काफी है|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL