गुरुवार, 6 जनवरी 2011

मिला वो भी नहीं करते,मिला हम भी नहीं करते

मिला वो भी नहीं करते,मिला हम भी नहीं करते,
दगा वो भी नहीं करते,दगा हम भी नहीं करते,
उन्हें रुसवायी का दुःख,हमें तन्हाई का डर,
गिला वो भी नहीं करते,शिकवा हम भी नहीं करते,
किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर,
रुका वो भी नहीं करते,ठहरा हम भी नहीं करते,
जब भी देखते है उन्हें,सोचते है कुछ कहे उनसे,
सुना वो भी नहीं करते,कहा हम भी नहीं करते,
लेकिन ये भी सच है कि मुहब्बत उनसे भी है हमसे,
इकरार वो भी नहीं करते,इकरार हम भी नहीं करते|

विजय पटेल का ब्लॉग © 2011 BY VIJAY PATEL