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कोई-कोई साथ इतना खास होता है
प्यार वफ़ा सब कुछ मिटा दिया होता
सितारों के चादर ने सूरज को सुलाया है
दोस्ती भी क्या चीज़ होती है
दर्द में कोई मौसम प्यारा नहीं होता
कभी किसी से जिक्र-ए-जुदाई मत करना
वक़्त बहुत कम है साथ बिताने में
हम दोस्ती कि नुमाईस नहीं करते
मुस्कराती रहे ये ज़िन्दगी तुम्हारी
सूरज निकला तो झलक तेरी पायी
ज़िन्दगी देने वाला नाता तोड़ गए
माना कि भुलाना हमारी आदत ही सही
फूलों कि वादियों में बसेरा हो आपका
फरेब था हसीं में,आशिक़ी समझ बैठे
खुशियों के रंग भर देती है दोस्ती
अनजाने में हम अपना दिल गवा बैठे
काफी है हुस्न दिल को बहलाने के लिए
काश दिल कि आवाज़ में इतना...
रूठने का हक आप रखते है
वो लौट आएगा तेरी ज़िन्दगी में
नज़रे ना होती तो नज़ारा ना होता
रब से आपकी ख़ुशी मांगते हैं
लहर आती है किनारे से पलट जाती है
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मंगलवार, 16 नवंबर 2010
फरेब था हसीं में,आशिक़ी समझ बैठे
प्रस्तुतकर्ता बेनामी
फरेब था हसीं में,आशिक़ी समझ बैठे,
मौत को ही ज़िन्दगी समझ बैठे,
यह मजाक था या बदनसीबी हमारी,
दो मीठी बातों को चाहत समझ बैठें|
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